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अश्क रहने दे थोड़ा पानी दे कोई दिलचस्प सी कहानी दे

अश्क रहने दे थोड़ा पानी दे

कोई दिलचस्प सी कहानी दें 


अभी तो दास्ताँ शुरू हुई

मुझे चढ़ती हुई जवानी दे


जिंदगी में मिले उतार चढ़ाव

 मुबारक मौके की निशानी दे


में अब दुनिया को बुझ लेती हूँ

 समझने वाला कोई ज्ञानी दे


माँ के घर में बहार बारह माह 

कुछ ऐसी याद मुझे पुरानी है


अभी लम्बा है रास्ता सामने 

धूप में छाँव की मेहरबानी दे।

©Deep Chakraborty
  गजल शायरी

गजल शायरी

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