कुण सूं कहवा साजन मेरा उस पार है, थांसु अब मिलण नूँ नैना तरस रह्या, हर एक पल थाकों ही बस इंतज़ार है, निरख निरख या म्हारे मनडा रे माही, थारी ही प्रीत री सरगम को बाजे सार है, आओ म्हारा परदेशी म्हारा केसरिया, ई हिवड़े की तो बस थांसु ही पुकार है। ♥️ Challenge-498 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ इस विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।