गज़ल को मतले से शुरू करते हैं हर दिलो में शेर दहाड़ता है कवाइयात बनकर,उतरता रूह तक उनसे पूछो जिनकी घरों में मोहब्बत नहीं ओले गिरते है उनके घर की छत पर जहां राहत इंदौरी की शायरियां नहीं होती । मक्ता पूरा करते ही,दूसरा शेर दहाड़ता हैं काफिया इतना मजबूत की रदीफ शर्माजाए शेर को इतने दाद मिले कि सारे शेर शाहे बैत हो जाते है पता नहीं राहत कहां कैसे किन- किन के दिलों में उतर जाते हैं कभी हिंदी - उर्दू दोनों मौसीयां राहत पर चुटकियां लेकर हंसती हैं दुनियां की सेर करवाई उन्होंने अपनी गजलों को मोहब्बत से नवाजा जाता था हर दिलों के गलियारों में दिल लगाने वाला आज भी उनकी शायरी सुनकर जिंदगी गुजरता हैं ओर वह कोने में बैठी सिसकियां लेते हुवे राहत के शब्दों से राहत को पाती हैं उनको मुल्क से मोहब्बत थी इतनी लाहौर में भी हिंदुस्तान सुनकर आते थे शांत कभी न हुआ जो जीवन में आज थोड़ी चुप बैठेगा अभी तो शुरू हुआ है 'राहत इंदौरी' 70 बरस का क्या ? इतिहास के पन्नों तक पहुंचेगा किन्तु आज शांत क्यों है राहत की गजलों रेख़्ता जनमानस के दिलो में इंदौरी का उफ़ान हैं ज़रा बस भी करो ठेके दारों 'राहत ' मरा नहीं बस गजलों के शेरों में तब्दील हुआ Santosh tatya 'luciferin' #उर्दू_का_अख़बार #उर्दू_अदब #उर्दूशायरी #RIPRahatIndori