कल रात में, उससे पहले की अमावस को, दो रातों पहले, आये चंदा की चाँदनी में, और..हफ्ते भर पूर्व, आये रात के तीसरे पहर में, सपनों का अर्थ ढूँढ़ती वो, व..मस्तिष्क के प्रश्नपत्र में, हर बार आते, प्रश्न बनकर, उसके हृदय की उत्तर पुस्तिका मे, उत्तर ढूँढ़ती श्वांसें उसकी, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #दुर्गा_का_देश कल रात में, उससे पहले की अमावस को, दो रातों पहले, आये चंदा की चाँदनी में,