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नमी मिलते ही गिलोय सी, फूट आएगी चाहत और फिर फूल खि

नमी मिलते ही गिलोय सी,
फूट आएगी चाहत और फिर
फूल खिलेंगे गुलाबी गुड़हल में।
महकने लगेगी बहार सावन की,
बरसने लगेगीं फुहार अपनेपन की।
इश्क़ की चार बूंदे इस फ़साने को-
अफसाना बनाकर बढ़ाती जायेंगी।
सूखे ठूंठ पर हरियाली आती जायेगी। आज का विषय:- हक़ीक़त और फसाना

👉आप सभी Collab करने के लिए आमंत्रित हैं।

👉Collab करने के बाद कॉमेंट में Done करना ना भूलें।

👉 और लोगों को Collab करने के लिए आमंत्रित करें।
नमी मिलते ही गिलोय सी,
फूट आएगी चाहत और फिर
फूल खिलेंगे गुलाबी गुड़हल में।
महकने लगेगी बहार सावन की,
बरसने लगेगीं फुहार अपनेपन की।
इश्क़ की चार बूंदे इस फ़साने को-
अफसाना बनाकर बढ़ाती जायेंगी।
सूखे ठूंठ पर हरियाली आती जायेगी। आज का विषय:- हक़ीक़त और फसाना

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