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जब भी आती है तिरी याद कभी शाम के बअ'द और बढ़ जात

जब भी आती है तिरी याद कभी शाम के बअ'द 

और बढ़ जाती है अफ़्सुर्दा-दिली शाम के बअ'द 

अब इरादों पे भरोसा है न तौबा पे यक़ीं 

मुझ को ले जाए कहाँ तिश्ना-लबी शाम के बअ'द 

यूँ तो हर लम्हा तिरी याद का बोझल गुज़रा 

दिल को महसूस हुई तेरी कमी शाम के बअ'द 

यूँ तो कुछ शाम से पहले भी उदासी थी 'अदीब' 

अब तो कुछ और बढ़ी दिल की लगी शाम के बअ'द

©अल्फ़ाज_₹srivasTava #Love  जब भी आती है तिरी याद कभी शाम के बअ'द
जब भी आती है तिरी याद कभी शाम के बअ'द 

और बढ़ जाती है अफ़्सुर्दा-दिली शाम के बअ'द 

अब इरादों पे भरोसा है न तौबा पे यक़ीं 

मुझ को ले जाए कहाँ तिश्ना-लबी शाम के बअ'द 

यूँ तो हर लम्हा तिरी याद का बोझल गुज़रा 

दिल को महसूस हुई तेरी कमी शाम के बअ'द 

यूँ तो कुछ शाम से पहले भी उदासी थी 'अदीब' 

अब तो कुछ और बढ़ी दिल की लगी शाम के बअ'द

©अल्फ़ाज_₹srivasTava #Love  जब भी आती है तिरी याद कभी शाम के बअ'द

Love जब भी आती है तिरी याद कभी शाम के बअ'द #Quotes