Jai Shri Ram १११ २,११ १२१ १२१ १२,१ २ भज रहे,निशि दिवा सब हैं वह नाम जी। जप सदा,जप सदा मनसे तुम राम जी।। मन रमे,तन रमे सुख की बरखा गिरे। सब रटें,सब सुनें प्रभु पीर सभी हरें।। ©Bharat Bhushan pathak #jaishriram#मंगलमंगना छंद hindi poetry poetry poetry lovers Hinduism poetry in hindi