जाने कैसी हवा चली जब मैं 16 की हुई,बारिश ने क्या रंग दिखाया17 में सावन आग लगाया।18 का वसंत जब आया,19 अब प्रीत का रोग लगाया।२०में कदम जो बहका२१ मे बिरहा जगाया,अगन २२ इसका सही न जाए23 न जाने कैसा रोग लगाया।आई उम्मीद 24 का जब,न जाने कैसी हवा चली अब।बेदर्दी सावन ना वर्षा,25 में भी मन है तरसा।। जाने कैसी हवा चली....