बेगुनाह , निष्पाप नन्हे बालक ये भोगते है , जो तुम मजे के लिए ऐसे कर्मकांड करते हो। फेंक देते कूड़े या नाली में उस नन्हें शिशु को , कर के ऐसा महापाप तुम तो बस मुकरते हो । कितने भरे पड़े है अनाथालय ऐसे अनाथ के , तुम तो उनको अपना नाम देने से कतराते हो। नवजात शिशुओं को ऐसे मरने के लिए छोड़ कर , तुम ख़ुद चैन से रह लो गे , क्या ये तुम बिसरते हो। उसको अपना नाम दोगे तो क्या जाएगा तुम्हारा , खोखली मान-मर्यादा कलंकित होने से डरते हो। ©आराधना #shabdshringaar