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जब जब बहती है मंद बसंत समीर वृक्ष लहराते है, बनती

जब जब बहती है मंद बसंत समीर 
वृक्ष लहराते है, बनती है गजब तस्वीर।
ऐसा लगता है मानो कोई बजा रहा सितार
ह्रदय तक पहुंच जाती है, जिसकी झंकार।
वृक्षों पर बैठे पंछियो का तब करो अवलोकन
बैठते है पँखों और पंजों का बनाकर संतुलन।
गोया कर रहें हों कोई अदभुत नृत्य
प्रकृति तू रचती बड़े विचित्र से कृत्य।
हवा जब हो जाती प्रचण्ड
कर देती सबकुछ खंड खंड।
फिर गिरा अपने पत्ते, शाखाएं
लगे वृक्ष धरा तक झुक जाये।
ये घटनाएं सब है सत्य चिरंतन
ताकि जग करे इसका मनन

©Kamlesh Kandpal
  #prkriti