क्या तुम अकेली नहीं आती हो सर्दी, नवंबर, धूप और ईश्क लाती हों नवंबर आता हैं तो धूप बच्ची बन जाती हैं जाड़े के दिनों में ईश्क जी भर भर लाती हों तुम्हें देख कर ठण्डी भी भाग जाती हैं तुम इतनी गर्मी सर्दी में कहा से लाती हों कुछ दूर चलू संग तुम्हारे रक्त चाप बड़ जाता हैं सच सच बताओं इतना इत्र (सेंट) क्यों लगाती हों छम छम बजे नूपुर (पायल) की आवाज सुनाई देती हैं फिर मेरे देखने के बाद इतना शोर क्यों मजाती हों – संतोष तात्या ©tatya luciferin #तात्या #tatyaluciferin #TATYA #4linepoetry #nojoto2021