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लगता है आज तू शहर में आई है जो हवाएँ आज इत्र सी

लगता है आज तू शहर में आई है जो हवाएँ आज  इत्र  सी महक रही हैं
ज़र्द पत्ते जो हुए जा रहे थे दिल के शज़र के हवाएँ उन्हें सब्ज़ कर रही हैं

लगा  रखे   थे  चिलमन  उदासियों  के  'सफ़र'  ने   ख़्वाबों  के  दरीचों  पे 
आज ख़ुद ब ख़ुद हट रहे हैं चिलमन शायद उन्हें भी तेरी आहट हो रही है ज़र्द- पीला
शज़र- पेड़
सब्ज़- हरा-भरा
चिलमन- पर्दा
दरीचों- छोटी खिड़की


🌝प्रतियोगिता-75 🌝
लगता है आज तू शहर में आई है जो हवाएँ आज  इत्र  सी महक रही हैं
ज़र्द पत्ते जो हुए जा रहे थे दिल के शज़र के हवाएँ उन्हें सब्ज़ कर रही हैं

लगा  रखे   थे  चिलमन  उदासियों  के  'सफ़र'  ने   ख़्वाबों  के  दरीचों  पे 
आज ख़ुद ब ख़ुद हट रहे हैं चिलमन शायद उन्हें भी तेरी आहट हो रही है ज़र्द- पीला
शज़र- पेड़
सब्ज़- हरा-भरा
चिलमन- पर्दा
दरीचों- छोटी खिड़की


🌝प्रतियोगिता-75 🌝