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मैं तो बाप हूं मुझे सब समझ में आता है तुम इतना

  मैं तो बाप हूं मुझे सब समझ में आता है तुम 
इतना क्यों इतराते हो, छुपा कर गलती 
   करते हो नादानी मुझे क्यों तुम चलाते हो, तुम 
बच्चे हो मेरे मैंने तुम्हें पाला है और अब
  तुम मुझे ही सीखते हो, माना ज्यादा वक्त नहीं
 दिया मैंने तुम्हें तुम्हारी मां ने ही तुम्हें 
सवारा है, तुम्हें दो वक्त की रोटी देने के लिए 
मैंने भी अपना आधा वक्त पानी पीकर 
    गुजारा है, अब बड़े हो गए तुम तो एहसान मुझे
 दिखते हो, रोटी भी अब मुझे गिन-गिन
   कर खिलाते हो, मैंने तुम्हें पढ़ाया लिखाया इस
 काबिल बनाया है तुम्हारी ज़रूरतें पूरी 
  की मैंने अपना फर्ज निभाया है, अब मैं बूढ़ा
 हो गया हूं तो तुम मुझ पर चिल्लाते हो,
     शर्म नहीं आती तुम्हें अपने बाप को आंख दिखाते
 हो, उस गर्मी की धूप में मेरा बदन भी
    बहुत जल रहा था, दुगनी मेहनत करनी पड़ रही
 थी क्योंकि घर का खर्च चलाने के साथ-
  साथ तू कॉलेज में पढ़ रहा था, गिरा हूं उठा हूं
 फिर चला हूं यह तो हम ही जानते हैं
   हमने कैसे-कैसे दिन बिताए हैं, तुम लड़खड़ा
 जाओगे उन रास्तों पर जिन पर हम
 चलकर आए हैं, ऐसे ही नहीं तुम्हारे बाप कहलाए हैं।

©Pradeep Kumar
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Pradeep Kumar

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