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कभी सोचा भी न था,यह जिंदगी फिर से एक और बार     म


कभी सोचा भी न था,यह जिंदगी फिर से एक और बार     मुझे तन्हा अकेल और भयानक सी मोड़ा पर लाकर मुझे र्बाद कर देगी, बस इस बार बहुत थक गई हूं ,सच में
खुद को किसी के नजरों में अपनी आत्म सम्मान की आहूति देते हुए और रोज घूट घूट के मरते हुए ,अब जीना नामुमकिन सी हो रही ह यह दर्द मुझे से अब सहन नहीं होती है! प्यार और रिश्ते निभाने में कभी भी कोई कमी नहीं रखी पर यह तो मेरे हिसाब से होगा ,सब को तो मैं घटिया और चल बाज ही नजर आई हूं।
जो कि शायद कभी किसी भी रिश्ते में एक पल के लिए भी ऐसा नहीं सोचा सब के लिए खुद को बर्बाद कर दिया 
बस ईश्वर से एक शिकायत रहेगी एक ऐसा इंसान क्यों  नहीं दिए जो पूरी जिंदगी मेरा ही होता! 
और एक धन्यवाद भी देनी है जो अपने मुझे इतनी अच्छी दिल का इंसान बनाया जो खुद बर्बाद होकर भी अपने मां बाप को कोई तकलीफ नहीं आनी दिए 
और उनको भी सारी खुशियां मिले जो मेरे साथ हर बुरे टाइम में खड़े थे, शायद प्यार नहीं किया होंगे मेरे से पर एक बहुत प्यार वक्त गुजरे हैं साथ में तो सब कुछ उनको मिले जो वह डिजर्व करते हैं।
ऐ जिंदगी अब मैं  चुप चाप इस मतलबी दुनिया से जाना चाहती हूं, अनजानी सी सफर में जहां से फिर तुझे तेरी जिंदगी तुम्हे वापस करने ,
और जिनको भी मेरे से कोई भी शिकायत होगी वह मुझे माफ कर देना ईश्वर ने मुझे एक इंसान बनाए थे तो हमसे
भी कोई गलती हो गई होगी ।
बस और कुछ नहीं बोलना _ प्रिया सिंह

©priya kumari
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