पंछी का बसेरा,,, मौसम के बदलते सर्द हवाओं के चलते आसरा ढूंढे पंछी किसी पहाड़ी के ओंठ में,, ओंस से भीगे उसके पंख ठंड से जकड़ते उसके पैर,,, उसके इरादों को न कमजोर कर पाते,,,, लंबा सफर है दिन रात का है फेर उड़ान उसकी उम्मीदों से भरी