जीवन में दुर्दिन जब आते, सुख के दिन भी साथ ही लाते, वर्षा-ऋतु आने से पहले, उमस भरे दिन किसे लुभाते ? जब प्यासा हो अंतर्मन तक, काले बादल सबको भाते, फसल पकी गर खेत पड़ी हो, वे ही कालिख मुंह मल जाते। यह जीवन तो बहता झरना, गिरकर दरिया बन जाएगा, सुख दुख के छोरों से बहकर, जा सागर में मिल जाएगा । आज अगर हम हार के बैठे, कल फिर ना जीता जाएगा, चलना तो हर हाल में होगा, दौड़! घिसट ना पाएगा ।। दौड़