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वो रात बातों बातों में जो ढली होगी वो रात कितनी म

वो रात

बातों बातों में जो ढली होगी वो रात कितनी मनचली होगी

तेरे सिरहाने याद भी मेरी रात भर शम्मां-सी जली होगी

जिससे निकला है आफ़ताब मेरा वो तेरा घर तेरी गली होगी

दोस्तों को पता चला होगा दुश्मनों-सी ही खलबली होगी

सबने तारीफ़ तेरी की होगी

मैं चुप रहा तो ये कमी होगी तेरी आँखो में झाँकने के बाद लड़खड़ाऊँ तो मयक़शी होगी

है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे मेरे बारे में बात भी होगी

©Akhil Sharma vo raat  #Voraat

#LostInNature
वो रात

बातों बातों में जो ढली होगी वो रात कितनी मनचली होगी

तेरे सिरहाने याद भी मेरी रात भर शम्मां-सी जली होगी

जिससे निकला है आफ़ताब मेरा वो तेरा घर तेरी गली होगी

दोस्तों को पता चला होगा दुश्मनों-सी ही खलबली होगी

सबने तारीफ़ तेरी की होगी

मैं चुप रहा तो ये कमी होगी तेरी आँखो में झाँकने के बाद लड़खड़ाऊँ तो मयक़शी होगी

है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे मेरे बारे में बात भी होगी

©Akhil Sharma vo raat  #Voraat

#LostInNature