काली सुर्ख ये ज़ुल्फ़ें जैसे,रुख पे बादल छाये हों, हो कोई इशारा ये तेरा,वो बारिश करने आये हों..!! इन टिप-टिप गिरती बूंदों से,हम कोई जाम बना लेंगे, तुमको देख के लगता है,हम मधुशाला में आये हों..!! हया का पर्दा जब छाया,और गाल तेरे जब लाल हुए हैं, मानो सुबह का सूरज निकला,रंग फ़िज़ा में छाये हों..!! मीठी-मीठी धुन कोई है,बहने लगी फ़ज़ाओं में, गीत सुनाती हवा ये जैसे,नगमें तुमने गाये हों..!! घोर तिमिर में खुद को भी मैं,कहीं पे खो के बैठा था, यूँ रोशन हुआ सवेरा जैसे,तुमने दीये जलाये हों..!! फ़र्क नहीं अब पड़ता मुझको,किसी के कुछ भी कहने से, अरे प्यार किया कोई ज़ुर्म नहीं,क्यूँ इतना घबराये हो..!! "मतवाला" बस तुमको ही सोचे,दिन हो चाहे रात घनी, अब तो मुझको लगता जैसे,रूह पे तेरे साये हों..!! #udquotes #ज़ुल्फ़ें #रुख #बादल #yqbaba #yqdidi #yqhindi