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मंजिले भी उसके थे रास्ते भी उसके थे एक मैं अकेला थ

मंजिले भी उसके थे रास्ते भी उसके थे
एक मैं अकेला था काफी लोग उसके थे
साथ साथ चलने की सोच भी उसके थे
बाद में रास्ते बदलने का इरादा भी उसी का था
आज मैं अकेला क्यु हु
दिल ये सवाल करता है
लोग तो लोग पर क्या खुद भी उसी का था।



                                  p.k.mast kya khuda bhi usi ka tha
मंजिले भी उसके थे रास्ते भी उसके थे
एक मैं अकेला था काफी लोग उसके थे
साथ साथ चलने की सोच भी उसके थे
बाद में रास्ते बदलने का इरादा भी उसी का था
आज मैं अकेला क्यु हु
दिल ये सवाल करता है
लोग तो लोग पर क्या खुद भी उसी का था।



                                  p.k.mast kya khuda bhi usi ka tha
pkmast7253336682062

P k yadav

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