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खुशियों से भरा था बचपन मेरा छोटी छोटी आँखो में खाव

 खुशियों से भरा था बचपन मेरा छोटी छोटी आँखो में खाव्ब बहुत थे 
पंख लगा अज़ादी के अब उड़ने के खाव्ब बहुत थे 
बैठ के कांधे पे बाबा के ये जहां उसने दिखाया था 
माँ ने हाथ पकड़ के यू चलना मुझे सिखाया था 
रोज़ बताती थी मुझको, अब जिस्म नया सा आया है 
छुपा के रखना इसको सबसे, बाहर बस हवस का साया है
. 
बस मेट्रो गली चौराहा हर जगहा जिस्म के भूके बैठे हैं
 खुशियों से भरा था बचपन मेरा छोटी छोटी आँखो में खाव्ब बहुत थे 
पंख लगा अज़ादी के अब उड़ने के खाव्ब बहुत थे 
बैठ के कांधे पे बाबा के ये जहां उसने दिखाया था 
माँ ने हाथ पकड़ के यू चलना मुझे सिखाया था 
रोज़ बताती थी मुझको, अब जिस्म नया सा आया है 
छुपा के रखना इसको सबसे, बाहर बस हवस का साया है
. 
बस मेट्रो गली चौराहा हर जगहा जिस्म के भूके बैठे हैं

खुशियों से भरा था बचपन मेरा छोटी छोटी आँखो में खाव्ब बहुत थे पंख लगा अज़ादी के अब उड़ने के खाव्ब बहुत थे बैठ के कांधे पे बाबा के ये जहां उसने दिखाया था माँ ने हाथ पकड़ के यू चलना मुझे सिखाया था रोज़ बताती थी मुझको, अब जिस्म नया सा आया है छुपा के रखना इसको सबसे, बाहर बस हवस का साया है . बस मेट्रो गली चौराहा हर जगहा जिस्म के भूके बैठे हैं