ख़र्च कर दिया ख़ुद को फिर भी खरीद न सके तुझे, ऐ सुकून तू मेरी जेब में कई सुराख़ करके निकल गया । हर तमन्ना तुझे हासिल करने की बस बेसुकूनी ही दे गई, हर बढ़ा कदम तुझसे दो कदम के फासले पर रह गया । क्यों जागती हैं रातों में आँखें, ये आँखों से यूँ न पूछिए, पूछिए कि जागते रहने का ये हुनर, कौन उन्हें दे गया । ये वक़्त का हिसाब रखना सीखा नहीं बचपन में कभी, सो वक़्त अपनी रफ़्तार में बेहिसाब सब कुछ ले गया । ख़र्च कर दिया ख़ुद को #kharchkardiya #collab #yqbhaijan #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Bhaijan #366days366quotes #writingresolution #day154