ये वादियां ये फिजाएं और तुम्हारा साथ पर्वतों से आती हवा और ये बर्फीली चादर ओढ़ चोटियों की बात सुबह की लालिमा छा जाती है तुम जो आती हो देख के तुमको ये बर्फ भी फीकी पड़ जाती है कदम चूमती हैं तुम्हारे ये चोटियां पहाड़ों की तुम से आती हैं लहर बहारों की चार चांद लगाते हैं तुम्हारे आने से इन नजारों में पूछती हैं कलियां कहां रही तुम इतने सालों से नूर है तुम्हारा या तुम खुद हो करिश्मा कुदरत का सोच के बनाया खुदा ने तुम जैसा फरिश्ता खूबसूरत सा ©Dr Supreet Singh #कुदरत_का_करिश्मा