Unsplash वास्तविकता के साथ जीता हूं न कभी मगरुर हो पाता हूं कहता नहीं उनसे कुछ बस थोड़ा सा दूर हो जाता हूं होते जहां बनावट के किस्से उनसे न बात करने को मजबूर हो जाता हूं सिलसिले चलते है फिर भी जब कभी मजबूर हो जाता हूं रिश्तों की बुनावत के धागे जो पिरोए है बस वही थोड़ा सा अपना सर झुकाता हूं..✨ ©$ π ! √ Û #Book Sonia Anand {**श्री**} କିଶାନ୍ life quotes