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मेरी पहली धड़कन भी धड़की थी माँ तेरे अंदर, जमीं को

मेरी पहली धड़कन भी धड़की थी माँ तेरे अंदर, 
जमीं को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहाँ। 

आँखें खुली जब पहली दफा, तेरा चेहरा ही देखा,
जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही मैंने सीखा। 

खामोश भरी मेरी जुबान को सुर भी माँ तूने ही दिये,
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने भरे।

"माँ" फिर से जाना चाहती हूँ मैं उस बचपन में, 
जहां तेरी गोद में मिली थी जन्नत मुझे।

            #सुचिता पाण्डेय 



 #माँ #poetry #hindipoetrylove
#माँ_का_प्यार #motherslove  
#suchitapandey #yqpoetry

   मेरी पहली धड़कन भी धड़की थी माँ तेरे अंदर, 
जमीं को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहाँ। 

आँखें खुली जब पहली दफा, तेरा चेहरा ही देखा,
मेरी पहली धड़कन भी धड़की थी माँ तेरे अंदर, 
जमीं को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहाँ। 

आँखें खुली जब पहली दफा, तेरा चेहरा ही देखा,
जिंदगी का हर लम्हा जीना तुझसे ही मैंने सीखा। 

खामोश भरी मेरी जुबान को सुर भी माँ तूने ही दिये,
स्वेत पड़ी मेरी अभिलाषाओं को रंगों से तुमने भरे।

"माँ" फिर से जाना चाहती हूँ मैं उस बचपन में, 
जहां तेरी गोद में मिली थी जन्नत मुझे।

            #सुचिता पाण्डेय 



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   मेरी पहली धड़कन भी धड़की थी माँ तेरे अंदर, 
जमीं को तेरी छोड़ कर बता फिर मैं जाऊं कहाँ। 

आँखें खुली जब पहली दफा, तेरा चेहरा ही देखा,