कभी इस तरह से,कभी उस तरह से कभी तुम मिलो,बादलों की तरह से नए मौसम की पहली बारिश के जैसी मुझमें तुम बहो पानियों की तरह से कभी हसरतों में, कभी उल्फतों में कभी नींद में थपकियों की तरह से अगर कभी मैं तुमसे जुदा हो भी जाऊं मुझे याद करना हिचकियों की तरह से कभी तन्हाईयों में,कभी परछाईयों में कभी राह चलते मुसाफिरों की तरह से तेरा साया बनकर संग तेरे मैं रहूंगा मुझे तुम ज़माने में ढूंढ़ लेना निशानियों की तरह से... Abhishek Trehan #ज़िन्दगी #इसतरह #उसतरफ़ #इश्क #शायरी #कविता #muntashirism #yqdidi