निखर जाएगा समझौता कर ले, बिखर जायेगा ना हठ कर बे, शीशा कहाँ टिकता गिर कर रे, सम्भाल की कहीं दिल ना टूटे। (पूर्ण कविता कैप्शन में पढ़ें।) निखर जाएगा समझौता कर ले, बिखर जायेगा ना हठ कर बे, शीशा कहाँ टिकता गिर कर रे, सम्भाल की कहीं दिल ना टूटे। रिश्ता तो प्यारा है, शुरू हुआ तुझसे, खत्म भी तुझपे,