आखिर ना जाने क्यों तु इन्सान ऐसा करता है, देकर दुःख अबोल को तु ख़ुद को क्या समझता है। रुक जा या देख ले कि क्या तु ऐ इन्सान कर रहा है, संभाल कर चल बस यहीं एक अबोल तुझसे कहता है। मेरा दर्द आज़ कम हो गया जब देखा एक अबोल का दर्द, कैसे सह रहा होगा वो जिसको दिया किसीने गलती से कुचल। नहीं रोक सका मैं अपने आंसुओ को जब समझा उसका दर्द, ख़ुदा करदे रहम तु उस नन्ही सी जान पर जिसको दिया किसीने मसल। रोता रहा तड़पता रहा पर सुनी ना किसीने उसकी दर्दभरी पुकार, इन्सान तुने क्या कर डाला अपने इन हाथों से जो है सबसे वफ़ादार। गलती थीं तो तेरी ही पर फ़िर भी ना सुनी तुने दर्दभरी सहमी पुकार,