मेरे लिये व्यर्थ हो गये वो सारे शब्द जो दिमाग ने लिखे.... क्योकि अब मैं समझने लगा हूँ मौन को.... मेरे लिये व्यर्थ हो गये वो सारे रिश्ते जो समाज ने दिये.... क्योकि अब मैं पहचानने लगा हूँ चहरे पर लगे मुखोटों को...... मेरे लिये व्यर्थ हो गये अब सारे विचार... क्योकि मुझे समझ आ गया है संगीत.... मेरे लिये व्यर्थ हो गया ये जीवन... क्योकि मुझे मिल गया है वो परम् जिसके बाद कोई भी चाहत नही रही...... #मनमौजी💕 ©anil dua #मनमौजी💕 #Books