हमें अपने गमों को अब, छुपाना भी नहीं आता, मगर हम क्या करें हमको, दिखाना भी नहीं आता। ~ पूरी रचना अनुशीर्षक में पढ़ें। हमें अपने गमों को अब, छुपाना भी नहीं आता, मगर हम क्या करें हमको, दिखाना भी नहीं आता। बताएं भी किसी को अब, तो बोलो क्या बताएं हम, हमें तो दिल लगाने का, बहाना भी नहीं आता। चली जाती हो तुम हर बार, फिर से लौट आती हो, भुला कर के तुम्हे तो दूर जाना भी नहीं आता।