वो निगाहें तबस्सुम जो हज़ारों की सुना करती थीं ,
फैसले मेरे इशारों पे हर एक लिया करती थीं ,
फिर एक दिन वो जस्बात व इरादे बदल गये ,
एक बा वफा से बेवफा वो 'अरशद ' को कर गये .... Dr.Mahira khan @sana naaz@jhanvi Singh NIKHAT (दर्द मेरे अपने है ) @Niaz (Harf)#Shayari