नये दौर के रिश्ते न दोस्त कम हैं, न रिश्तेदार कम हैं, फिर भी हर महफ़िल में, अकेले शव हैं।। पुराने रिश्ते आज भी चल रहे हैं, बस नये रिश्तों में ही भरोसा कम है।। न दोस्त कम...... तीन पहर की जिंदगी में, लोगों ने पैसों से रिश्ता बनाया है, रिश्ते उसके पास कम है, जिसके पास पैसे कम हैं।। न दोस्त कम....... अब तो एक कहावत बहुत सुनते हैं, (न बाप न भैया, सबसे बड़ा रुपैया), इसे सही साबित करने में, कुछ तुम हो, कुछ हम हैं।। न दोस्त कम...... ©Writer Veeru Avtar नये दौर के रिश्ते। #DilKiAwaaz