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माँ 🤰 बचपन का वो हर पल सुहाना था । बचपन की ठिठोल

माँ 🤰

बचपन का वो हर पल सुहाना था ।
बचपन की ठिठोलियों में पूरा दिन निकल जाता था 
जब मटमैले कपड़ों में घर आयें
तो माँ प्यार से बुलाती थी ।
क्या भूख लगी माँ पूछे
फिर प्यार से खाना खिलाती थी ।
उठाकर अपनी गोदी में माँ लोरियां सुनाती थी ।
माँ की मीठी लोरियों से अखियों को निंदिया आ जाती थी ।
छुपा कर अपने आँचल में
माँ सीने से लगा कर मुझे सुलाती थी । 👼

©Surendra kumar bharti 
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