चलना जीवन है *********** है रात अमावस तो है क्या? चलने का बस अब मन तो हो है पृथक सवेरा तो है क्या? उत्साह की बदरी सघन तो हो। कब तक कांटे से डरना है जेहन में जोर अगन तो हो खाई,दर्रा पर्वत है तो क्या? जिद के साथ मगन तो हो। चल-चल उठ, पथ है नहीं कठिन सांसों में तेरे प्रण तो हो गिर-गिर के उठाना ही जीवन आहे तेरे अर्पण तो हो। क्या छुटा, अब क्या संग रहा? सोच जरा ये मलंग तो हो वीर बनो ना भीरू तुम पग धूसरित,तन चंदन तो हो। दिलीप कुमार खाँ""अनपढ़"" #चलना जीवन है #हिंदी #अल्फ़ाज़ #थॉट्स