अपनों को खो देने का दर्द नहीं बयां किया जा सकता शब्दों में, नि: शब्द हो जाता है हर कोई ये ऐसा दर्द हैं, ना जाने कैसा दौर है ये हंसती खेलती जिंदगी को तबाह कर जा रहा अगले पल में क्या हो कोई नहीं जानता, सिर्फ आंसू छोड़ जा रहा ये आंखो में सूनी आंखें हर आहट पर उसी अपने का इंतजार करती कि वो कहीं से दे आवाज लौट आये फिर कही से वो एक इंतजार रह जाता है हमेशा जो हमें पता होता है अब सिर्फ इंतजार ही रहेगा। ©indu mitra अपनों को खोने का दर्द Himanshu Gupta Pratik Banait Pramod singh rajpurohit Anayatullah Batt officials ram singh yadav