मौसम की तरह क्या खूब बदलते है सूरत लोगो की हर रोज बदलती है अपने बन सब दिखावे के रंग बदलते है फितरत लोगो की क्या खूब पलटती है झूठ का लेके पर्दा हर रोज निकलते है आईने की भी क्या खूब सच्चाई झलकती है बातों की उनपे करके भरोसा हर रोज पिघलती है ये महबूबा उनकी इस आग में हर रोज जलती है जैसी मूरत की चाह सबको रहती है इस दुनिया में वैसी हर रोज ये सादगी बन फिर ठहरती है वो हमारी यारी की कैसी सहूलियत चाहते है हमारी हर उम्मीद उन्ही से सँवरती है कैसे कहे वो बेवजह की जो वजह पलती है वो हमारी दोस्ती की मोहब्बत हर रोज निखरती है अफसोस ये गलतफहमी हमारी ही बनती है उनको तो बस झूठी बात ही अच्छी लगती है यारी की सारी सौगात कच्ची सी लगती है हम उनको सच्ची दोस्ती की कश्ती समझते है वो यारी तो बस मुझ तक ही सच्ची लगती है nojotoapp#dosti #yari#bharosa#love#expectation#saccharishta#apnapan#sab juthe rishte#