मैं दरिया के उठी उस लहर की तरह, जो कुछ दूर ही चलकर थम जाती है। वापस जब लौटे समाने दरिया में, पीछे कुछ निशान छोड़ जाती है। कभी क्रोध से सनी विकराल बन जाए, कभी शांत सुप्त सी शिशु हो जाए। गहराए जल का अपार भंडार जो, जो छलक जाए तो अन्तर्मन भिगाए। वह चंचल नील उमंगों का दरिया, जो भड़की ज्वाला को भी शांत बनाए। विशाल दरिया और गहरा इतना, एक अनंत मन को भी शून्य बनाए। वह भव्य महासागर के नाम से सुसज्जित, जो अनंत जीवो का दाता है। वह अनंत प्रेरणा के स्रोत का दानी, जो करोड़ों विकार खुद में समाता है। ©Er. Dhiru Kohli # दरिया❣️ #vks Siyag# nanhi_shayrana218 #खुले जहां के आजाद मुसाफ़िर #Priyanka Yadav #Neha varma # Vandana Mishra # Isha Rajput #