मुझको भी जमाने की बेवफाई ने मारा। कुछ गैरो तो कुछ अपनो की रुसवाई ने मारा। पहले तो हम कभी हँस भी लिया करते थे, तो आज इस संजीव को उनकी गद्दारी ने रुलाया। संजीव पाण्डेय