Nojoto: Largest Storytelling Platform

पिछली दीवाली का कुर्ता याद है ना अरे वही जो इमरान

पिछली दीवाली का कुर्ता याद है ना
अरे वही जो इमरान भाई की दुकान से लिया था
मंदिर के सामने वाली दुकान
जहां मंदिर मेे जाते हुए लोग अपनी चप्पल रख जाते हैं
इमरान भाई कोई भाड़ा जो नहीं लेते


कुर्ता अब गलें पर कुछ चुस्त सा लगता है
मानो दम घोंट रहा हो
उसमे कुछ हरे रंग के डोरे भी दिखते हैं
पहले भी थे शायद?
पता नहीं
अब आखों मेे चुभते हैं
जिन मुसलमान हाथों ने बुना है इनको
मानो अब सूई पिरो रहे हो मेरे जिस्म में
मंदिर के आगे ही  दुकान रखी है
मस्जिद के आगे क्यों नहीं?
बनने के लिए पैसे भी नहीं लेते
मौके की ताक में हैं शायद

नहीं नहीं ये सब मैं क्या सोच रहा हूं?
दिया जलाया हैं आज दीवाली का
उसी चुस्त कुर्ते में
दम बंद हो जाए शायद मजहबी खयालों का। दीवाली का कुर्ता
#ManKaRog
पिछली दीवाली का कुर्ता याद है ना
अरे वही जो इमरान भाई की दुकान से लिया था
मंदिर के सामने वाली दुकान
जहां मंदिर मेे जाते हुए लोग अपनी चप्पल रख जाते हैं
इमरान भाई कोई भाड़ा जो नहीं लेते


कुर्ता अब गलें पर कुछ चुस्त सा लगता है
मानो दम घोंट रहा हो
उसमे कुछ हरे रंग के डोरे भी दिखते हैं
पहले भी थे शायद?
पता नहीं
अब आखों मेे चुभते हैं
जिन मुसलमान हाथों ने बुना है इनको
मानो अब सूई पिरो रहे हो मेरे जिस्म में
मंदिर के आगे ही  दुकान रखी है
मस्जिद के आगे क्यों नहीं?
बनने के लिए पैसे भी नहीं लेते
मौके की ताक में हैं शायद

नहीं नहीं ये सब मैं क्या सोच रहा हूं?
दिया जलाया हैं आज दीवाली का
उसी चुस्त कुर्ते में
दम बंद हो जाए शायद मजहबी खयालों का। दीवाली का कुर्ता
#ManKaRog

दीवाली का कुर्ता #ManKaRog