यह समय नहीं अनुकुल, स्वयं को कर ले तू मजबूत
पथ पर है ज्वाला की लहरे, लक्ष्य श्रृंग पे जाना है
जीवन को परिभाषित करते, गिर कर फिर उठने वाले
प्राणों के तारुण्य दिखाते, समरभूमि पे लड़ने वाले
ढलता सूरज कहता जाये, लड़ना है अंधेरों से
अलख जगा तू अभ्यंतर में, तम को कर तू दूर #Life#thought#nojotohindi#myvoice#Life_experience#deshkeveer