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-खुद की पहचान- जालसाजी व फरेबी दुनिया से त्रस्

    -खुद की पहचान-
जालसाजी व फरेबी दुनिया से त्रस्त हूँ ,
खुद में  ही रहता अब तो मैं मस्त हूँ ,
ख्वाबों को संजोने में अभी व्यस्त हूँ ।

खामोशी के समुन्दर में हूँ बह रहा इधर उधर ,
इस संकट के क्षण में लगे बस नैया पार भवँर ,
बेटोरकर सारे गमों को अभी हूँ कर रहा गुजर ।

अभी दुनिया है मेरी बड़ी गुमनाम ,
है बनानी अभी खुद की पहचान ,
है तोड़ना कइयों का विक्षिप्त अभिमान ।

फितरत में है अभी लॉकडाउन का सफर ,
फिलहाल किताबों में भटक रहा अपने ही घर ,
सता रही आधी अधूरी आकांछाओं की कहर ।

कर नही सकता मंजिलों से समझौता ,
यहाँ राह भटकाने खड़े पल पल मुखौटा ,
चाह नही बनने का फरेबी लोगों का चहेता ।
 #खुद की पहचान
    -खुद की पहचान-
जालसाजी व फरेबी दुनिया से त्रस्त हूँ ,
खुद में  ही रहता अब तो मैं मस्त हूँ ,
ख्वाबों को संजोने में अभी व्यस्त हूँ ।

खामोशी के समुन्दर में हूँ बह रहा इधर उधर ,
इस संकट के क्षण में लगे बस नैया पार भवँर ,
बेटोरकर सारे गमों को अभी हूँ कर रहा गुजर ।

अभी दुनिया है मेरी बड़ी गुमनाम ,
है बनानी अभी खुद की पहचान ,
है तोड़ना कइयों का विक्षिप्त अभिमान ।

फितरत में है अभी लॉकडाउन का सफर ,
फिलहाल किताबों में भटक रहा अपने ही घर ,
सता रही आधी अधूरी आकांछाओं की कहर ।

कर नही सकता मंजिलों से समझौता ,
यहाँ राह भटकाने खड़े पल पल मुखौटा ,
चाह नही बनने का फरेबी लोगों का चहेता ।
 #खुद की पहचान
amaranand9347

Amar Anand

New Creator