*✍🏻“सुविचार"*📝 🌫️*“26/7/2021”*🌫️ 🌧️ *“सोमवार”*🌧️ “वर्षा” के दौरान “आकाश से “बूंदे” गिरती है “मिठी बूंदे”,“शीतल बूंदे” “मन” को “पवित्र” कर देती है, इस तरह “धरती की प्यास” बुझा देती है, आसपास “हरियाली” भर देती है, अब ऐसा ही “जल” हमें “कुएं” से भी तो प्राप्त होता है, यदि हम सोचे कि “वर्षा के जल” में और “कुए के जल” में अंतर है, तो “अंतर” है “भाग्य” और “कर्म” का, वर्षा “भाग्य” है “प्रकृति की इच्छा” होती है तो “वर्षा” होती है,किंतु “कुआं” हमें ऐसे ही नहीं मिलता, “कर्म” और “परिश्रम” से इसे प्राप्त करना पड़ता है,इस “धरा” को “खोदना” पड़ता है,“पसीना” बहाना पड़ता है, तब जाके हमें “कुआं” प्राप्त होता है, अब ये वर्षा “वर्षभर” नहीं होती है किन्तु ये “कुआं” कई वर्षों तक हमारी “प्यास” बुझाता है, अब इससे हमें क्या “सीख” मिलती है कि आप “भाग्य” पर “विश्वास” रखिए लेकिन “कर्म पर आस्था” रखिए, क्योंकि “कर्म” और “परिश्रम” हमें “संसार” के किसी भी “शिखर” तक पहुँचा सकते है, तो निरंतर “प्रयास” किजिए और “कर्म” किजिए, “जीवन” में “सुख” और “सफलता” दोनों ही प्राप्त होगी... *“अतुल शर्मा 🖋️📝* *✍🏻“सुविचार"*📝 🌫️*“26/7/2021”*🌫️ 🌧️ *“सोमवार”*🌧️ “वर्षा” “शीतल बूंदे”