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साथ रहकर पता पड़ा कि मीठा मीठा बोलकर रंग जमाने वा

साथ रहकर पता पड़ा   कि मीठा मीठा बोलकर रंग जमाने वाले
कितने खारे और थोथे होते हैं
कितनी कटुताएं और द्वेष भीतर उगाए हुए हैं!
लेकिन स्पष्ट और कड़वा सच बोलने वाले 
भीतर से कितने कोमल और सहृदय हैं!
लाग लपेट से दूर
सब कुछ ठीक कर देने का जुनून
उन पर कितना हावी है?
पर दुनिया तो ऊपरी आवरण देखती है
और उसी से सबको आँकती हैं
बाहरी चमक -दमक से,
साज -सज्जा से चुंधिया जाती है उनकी आंखें 
और जब भीतर का खोखलापन बेपर्दा होता है
तो पता चलता है
'दूर के ढोल सुहावने ' 
शायद इसी को कहते हैं!!

© Anjali Jain दूर के ढोल सुहावने 27.05.21

#AdhureVakya
साथ रहकर पता पड़ा   कि मीठा मीठा बोलकर रंग जमाने वाले
कितने खारे और थोथे होते हैं
कितनी कटुताएं और द्वेष भीतर उगाए हुए हैं!
लेकिन स्पष्ट और कड़वा सच बोलने वाले 
भीतर से कितने कोमल और सहृदय हैं!
लाग लपेट से दूर
सब कुछ ठीक कर देने का जुनून
उन पर कितना हावी है?
पर दुनिया तो ऊपरी आवरण देखती है
और उसी से सबको आँकती हैं
बाहरी चमक -दमक से,
साज -सज्जा से चुंधिया जाती है उनकी आंखें 
और जब भीतर का खोखलापन बेपर्दा होता है
तो पता चलता है
'दूर के ढोल सुहावने ' 
शायद इसी को कहते हैं!!

© Anjali Jain दूर के ढोल सुहावने 27.05.21

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anjupokharana7639

Anjali Jain

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