उसकी नाउम्मीदी पे भी उम्मीद लिए बैठा हूँ, मैं सहरा में भी कस्ती लिए बैठा हूँ... लोग आते बहुत हैं समझाने को मुझे, पर... मैं अजीब सी इक जिद्द लिए बैठा हूँ... वो अब किसी और का हो ही नहीं सकता, मैं ये कैसी तस्वीर लिए बैठा हूँ... अहले-दिल किसी की सुनता भी नहीं, मैं बेवजह इक नासूर लिए बैठा हूँ... #Backspace#dairy#