अब कौन ये सुने जी, फरियाद आदमी की। विश्वास पर टिकी है, बुनियाद आदमी की। यह देह तो चली जो,उस लोक की तरफ को- पर पास रहती हरदम, बस याद आदमी की। #मुक्तक #याद_आदमी_की #विश्वासी 221 2122 221 2122