पल्लव की डायरी गुम होकर कही,खोया हुआ था भावो के समुंदरो में,शब्दों का खजाना लिखा था सिमटी थी दास्ताने कलमो की, पन्नो में मुखातिब होकर सराहने वाला नही था सजने लगे जब से मंच नोजोटो पर नाम अपना निकल पड़ा है साहित्यिक दोस्तो में,रुतवा अपना भी बढ़ने लगा है तराशने वालो के बीच मे,हुनर अपना भी चलने लगा है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव" रुतवा अपना भी बढ़ने लगा है #कला #klaam #nojoto2022