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प्रिय स्त्री,तुम्हें चलना चाहिए उस राह पर, जहां क

प्रिय स्त्री,तुम्हें चलना चाहिए  उस राह पर, जहां कोई तुम्हारा रास्ता तकता हो, न कि तुम्हारे बनाए रास्तों पर जहां कांटे बेशुमार हो....... तुम्हे जरूरत क्या है धक्के खाने की? जब सब मुफ़्त में तुम्हे मिलना तय है, तो फिर तुम्हे इन सबमें उलझना ही क्यों हैं?  क्यों  ऐसी ही होती हैं न समाज की दलीलें? प्यारी सी स्त्री! तुम ने स्वीकार कर लिया की सच ही तो हैं, कोई तो होगा ही जो सब संभाल लेगा। 
और तुमने वही चुना जो तुम्हे नहीं चुनना था, खुदको खोना... खुदको खोकर तुमने चुना एक परछाई को, जो शायद तुम्हारी हैं या नहीं, तुम भी  नहीं जानती हो।

©Ruksar Bano
  #finacialfreedom #Women