कितनी अजीब सी बात है, अरसो के बाद सब साथ है। दूर थे मजबूर थे जो रिश्ते, अपनो के वो उतने पास हैं।। कितनी अजीब सी बात है, अपनो से ये अनजानी सी मुलाकात है , थोड़ी सी खामोशी का कारण पूछते है, परवाह के दौर की रोज नयी रात है।। कितनी अजीब सी बात है , विचारों की विषमता से धूंधले थे जो रिश्ते, अब आता है समझ जिंदगी के पहियों के तले, रिश्तों के ये दबे हुए जज़्बात है, ऐसा लगता है सदियों से साथ हैं कितनी अजीब सी बात है।। Shreya upadhayaya kuch pal Aur man ke shabd parivar ke nam.