दिल पे किसका जोर है दिल है की मानता नहीं ये जानते हैं हम जो मिल नहीं सकता उसी से मोहब्बत क्यों होती है दिल और आँखें उसकी को ढूंढती अक्सर दिल पे किसका जोर है कोई बता नहीं सकता मिले तो हजारों लोग थे पर वो सबसे अलग था जो किस्मत में नहीं था दिल आज भी जोर से धड़कता है जब भी उसका नाम कानों में घुलता है कितना भी बंद कर लो तुम दिल के दरवाज़े हम दिल उतर आएंगे कलम के सहारे मानता ही नहीं कमबख्त दिल उसे चाहने से कैसे रखूँ जुदा खुद को उससे ये खुदा भी कभी बताता नहीं दिल पे किसका जोर है दिल है की मानता नहीं। ♥️ Challenge-667 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।