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लिख लिख कर अपने गम भुला देती हूं, जबसे आदत पड़ी है

लिख लिख कर अपने गम भुला देती हूं,
जबसे आदत पड़ी है इसकी,
सुन सुनकर सुन्न हो जाती हूं,
सिर्फ आंखें देखती हैं,
कलम बोलती है,
मन ही मन बतियाती हूं
यहां हर एक डूबा हुआ है
लहरों की मस्ती में
हर एक कभी आभारी है
तो कभी प्यासा है तेरे प्यार का
तेरी रज़ामन्दी के बिना
ना मैं किसी का सहारा बन सकती हूं
ना किसी की ढाल
बस लिखकर, तुझतक यह संदेश पहुंचा सकती हूं।। 


 एक लेखक दुनिया के साथ-साथ अपनी ख़राबियाँ भी नज़र में रखता है।
#ख़राबी #yqdidi #collab  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
लिख लिख कर अपने गम भुला देती हूं,
जबसे आदत पड़ी है इसकी,
सुन सुनकर सुन्न हो जाती हूं,
सिर्फ आंखें देखती हैं,
कलम बोलती है,
मन ही मन बतियाती हूं
यहां हर एक डूबा हुआ है
लहरों की मस्ती में
हर एक कभी आभारी है
तो कभी प्यासा है तेरे प्यार का
तेरी रज़ामन्दी के बिना
ना मैं किसी का सहारा बन सकती हूं
ना किसी की ढाल
बस लिखकर, तुझतक यह संदेश पहुंचा सकती हूं।। 


 एक लेखक दुनिया के साथ-साथ अपनी ख़राबियाँ भी नज़र में रखता है।
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Collaborating with YourQuote Didi
sitalakshmi6065

Sita Prasad

Bronze Star
Growing Creator
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