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'उन दिनों में' क्यों बेजान सा मन है शायद कुछ खल र

'उन दिनों में'

क्यों बेजान सा मन है
शायद कुछ खल रहा है मन में
वो जो सदियों पहले तो नहीं
पर कुछ दिन पहले ही घटा था
जब लोग टूट रहे थे अस्पतालों में
सांसो की कमी से
और कुछ जिन्दा थे
जैसे बस जिन्दा थे
उनका सब कुछ मर चुका था
उनका अपनों से मिलना 
और ठहाके लगाके हँसना
बस सब कुछ चला गया
उन दिनों में ,उन बेरुखे बीमारी के दिनों में। #coronavirus #covidtimes
'उन दिनों में'

क्यों बेजान सा मन है
शायद कुछ खल रहा है मन में
वो जो सदियों पहले तो नहीं
पर कुछ दिन पहले ही घटा था
जब लोग टूट रहे थे अस्पतालों में
सांसो की कमी से
और कुछ जिन्दा थे
जैसे बस जिन्दा थे
उनका सब कुछ मर चुका था
उनका अपनों से मिलना 
और ठहाके लगाके हँसना
बस सब कुछ चला गया
उन दिनों में ,उन बेरुखे बीमारी के दिनों में। #coronavirus #covidtimes